इलाज और उपचार (Curing and Healing)
यह पहली बार हुआ न आख़री बार होगा। लोग मरते रहे हैं, मर रहे हैं और मरते रहेंगे। जीना मरना श्रिष्टि का नियम है। बीमारी और मौत एक ही बिस्तर के साथी हैं!
बीमार होने पर जो पहली बात दिमाग में आती है वह है डाक्टरी सलाह लेने की। डाक्टर दवाई देता है ठीक हो जाते हैं। कुछ गंभीर हालात में कुछ परीक्षण करते हैं पर देर सबेरे मरीज़ अपने पाँवों पर खडा हो ही जाते हैं ।
कुछ अत्यंत गंभीर हालत में हैं और डाक्टर जानता है कि बीमारी लाइलाज है जैसे कैंसर और इशारों इशारों में बता भी देता है कि कितने महीने या दिन बचे हैं। यह समय है जब एक समझदार डाक्टर इलाज कम और उपचार पर ज्यादा ज़ोर देने लगता है। उसके हिम्मत देन वाले शब्द बीमार को उम्मीद नहीं बल्कि शक्ति भी देते हैं। दोस्त और रिस्तेदार आते हैं, बात करते हैं, उम्मीद जताते हैं, कहानियाँ सुनाते हैं कि कैसे अमुक व्यक्ति इसी बीमारी में इतने साल तक जिया। मेडिकल साइंस प्रगति कर रही है और तुम्हें कुछ नही होगा। बीमार के चेहरे पर मुस्कान झलकने लगती है।
लेकिन जब मौत आती है तो बीमार के लिये न तो इलाज न उपचार ही काम आता है। जीतती मौत ही है।
फिर रह जाते हैं उस मौत पर मातम मनाने वाले परिवार और नज़दीकी लोग। यही वक्त है जब सबके हिम्मत देने वाले शब्द काम आते है। कंधे पर हल्की सी थपकी, प्यार और सहानुभूति की झप्पी बहुत हिम्मत बढ़ाती है । इलाज तो हार गया पर उपचार जीत जाता है। कुछ सांत्वना, कुछ मदद, कुछ अपनापन सब मिलाकर दुखी जनों के चेहरे पर कुछ देर के लिये ही सही पर मुस्कान ले आती है।
कोविड महामारी में समय बहुत ख़राब चल रहा है। न तो झप्पी और न थपकी । दुखी परिवार के सदस्यों को हम जो भी मदद पहुँचा सकें बहुत बडा उपचार होगा। पडोसी खाना पहुँचा सकते हैं, छोटे और गोद के बच्चों की देखभाल कर सकते हैं।
जो भी सहायता करें अपनी सुरक्षा को ध्यान में रख कर करें। कोविड के नियमों का पालन करें।
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