Saturday, June 19, 2021

यादों के झरोखे से-जब गागर गिरा दी!

यादों के झरोखे से-जब गागर गिरा दी


गौंखड्या स्कूल बनचूरी मा चौथी पाँचवीं छात्रों कु अध्यापकों कुण खाण पीणौकु पानी लाण गुरू सेवा ही बोली सक्यांद


वे दिन छुट्टी की घंटी बजण बाद गुरू जी तै लग कि पाणी लगलु! मी बस्ता उठाणै छे कि गुरू जी गागर पकडै कि दौड़ीक जा और पाणी लै


पाणी द्वी फ़र्लांग तल! घुरसाण ! क्या कौरु जाण ही पड़! दगड्या सब हंसद हंसद भागि गीन


मीन गागर भर और कंधा मा लादीक लगि ग्यूं उकाल नापण! भूख भी लगीं छे! सांस अलग फुलनै रै! ग़ुस्सा आण ही छे। 


ख़ैर कनी कैक उकाल टप और रसोई माँ औं द्याख कि द्वी गुरु जी खाणै छे। 

इशारा से ब्वाल कि भीम धैरि दे


अरे दस ग्यारह साल बच्चा छे मी! कम से कम गागर उतारन मा मदद कैरी सकद छे


मुख पैली फुल्यूं छे म्यारु! ऊंकि ईं हरकत से आग मा घी वाल हिसाब ह्वे गे


धम से गागर भीम धोलीक, बस्ता उठै और भागी ग्यूं


वे बाद अगलि दिन क्या ह्वे आप खुद ही अंदाज़ा लगै सकदन



(गुरु जी नानी गाँव बणांस से छे





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