कबीर मेरा जिगरी दोस्त है। बेटी की शादी में बुलाया था । घर पहुँचते ही बोला ट्रेन में सारा सामान चोरी हो गया। मैंने अपना क़ीमती सूट पहना दिया।लोगों से इस तरह मिलाया:
1. पहले से मिलवाया-मेरा जिगरी दोस्त है! सूट मेरा है! कबीर सकुचा गया। लगा मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था ।
2. तो दूसरे से इस तरह मिलवाया-मेरा जिगरी दोस्त है! सूट उसका ही है! लगा फिर गलती हो गई ।
3. जब तीसरे से मिलाया तो कह दिया - मेरा जिगरी दोस्त है, सूट का क्या?
4. मिलने मिलाने का सिलसिला चलता रहा और साथ ही सूट मेरा है का इशारा भी ।
लाख कोशिश की कि सूट का ज़िक्र न करूँ पर जब देखा कि सब लोग उस सूट की तारीफ़ कर रहे हैं तो तो कहे बिना भी नहीं रह पाया । दोस्त पर क्या गुजरी और दोस्तों ने क्या सोचा होगा उससे मुझे क्या लेना देना सूट तो मेरा ही था।
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