इतिहास में दिलचस्पी रखने वालों के लिये:
पता नहीं क्यों पर ५७ से ख़त्म होने वाले साल भारत के लिये हमेशा चुनौतीपूर्ण रहे हैं:-
१७५७:- ईस्ट इंडिया कंपनी ने पलायी के युद्ध में बंगाल को हराया और भारत में अपने पाँव जमाये।
१८५७:- सिपाही म्यूटिनी और आज़ादी के लिए पहली लड़ाई ।
१९५७:- तब की सरकार के सामने चुनौतियाँ जो विभाजन और कश्मीर पर आक्रमण से उभर भी नहीं पाये थे:
- विभाजन के बाद शरणार्थियों की समस्या
- देश को एक जुट करना ५०० से ऊपर छोटे बड़े रजवाड़ों को साथ लाना
- भाषा के नाम पर राज्य बनाने की माँग
- गोवा पर पुर्तगालियों का क़ब्ज़ा बरकरार
- पौंडिचेरी पर फ़्रांस का क़ब्ज़ा बरकरार
- केरल में रूस से प्रभावित काम्युनिसट पार्टी का बढ़ता प्रभाव
- शेख़ अब्दुल्ला कश्मीर को अलग देश बनाने पर आमादा
- डीएमके का द्राविड नाडु अलग देश बनाने की माँग
- नागालैण्ड में अलग देश की माँग
- झारखंड अलग राज्य की माँग
आसान तो नहीं रहा होगा शासन सँभालना! फिर भी समस्याओं का मुक़ाबला किया और देश आगे बढ़ा! सबसे बड़ी बात प्रजातंत्र मज़बूत होता गया।
अब देखना है कि २०५७ में क्या होगा!
मैं तो नहीं रहूँगा। भगवान भली करेंगे ।
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