पशुओं की भगवान से गुहार !
शास्त्रों की माने तो ' केवल मानव को ही निर्वाण पाने का अधिकार है'। मनुष्य योनि में ही यह अवसर प्राप्त है कि कष्टदायी जन्म म्रित्यु पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा मिल सके। हमारे साधू संत हमें उपदेश ही नहीं देते बल्कि कहते हैं 'मूर्ख मत बनो, यही एक जीवन है, अब नहीं तो कभी नहीं'!
पशु, ख़ासकर चार पाँव वाले पशु जो मानव के काफ़ी क़रीब हैं, इस तरह के उपदेश सदियों से सुनते आये हैं और अपने भाग्य को कोसते रहे हैं कि भगवान ने यह अवसर उन्हें क्यों नही दिया! लेकिन, मानवों की तरह ही पशुओं में भी नई पीढी भी सोचने लगी है कि बहुत हो गया, अब कुछ करना ही पडेगा! वह भी कुछ करना चाहती है, कुछ बदलना चाहती है।
कुछ लीडर टाइप के नव जवान पशु, अपने राजा शेर के पास गये और उसके सामने अपने विचार रखे। राजा ब्रिद्ध हो चला था, अनुभवी था, पर नव मानवोंकी तरह नव पशुओं मे भी धैर्य की कमी तो है ही। ओल्ड इज गोल्ड सब कहने की बात है! ब्रिद्ध राजा ने बहुत समझाया कि जो है उसी मे संतुष्ट रहो पर वे कहाँ मानते! अपना एक ग्रुप बनाया और भगवान को सीधे गुहार लगा दी!
गुहार
"हे श्रिष्टि के रचयिता, दुनिया के मालिक,
हम चार पाँव के, जंगलों में रहने वाले सताये हुये जंगली प्राणी, जंगल, जो कि अब, मानव की कभी न मिटने वाली जमीन की भूख के आगे, नाम के रह गये हैं, बडी विनम्रतापूर्वक प्रार्थना करते हैं कि अब असहनीय होता जा रहा है और हम भी मानवों की तरह इसी जनम में निर्वाण प्राप्ति का अवसर चाहते हैं। हमें पूर्ण विश्वास है कि हम किसी भी रूप में मानवों से कम नहीं हैं। वास्तव में हम मानवों से कई रूप में ऊँचे हैं, जैसे कि:-
मानवों कि तरह हम इच्छाओं के वशीभूत नहीं है! हमारी कोई इच्छा है ही नही! आज भी अपने जनम जात पहनावे में घूमते हैं! कोई चिंता नहीं कि रात कहाँ और कैसे कटेगी, कहाँ सोयेंगे। आसमान के नीचे धरती ही हमारा घर है! न कपड़ों की चिंता न घर की!
हम काम के भी वशीभूत नहीं हैं! बस पीढी को आगे बढ़ाने के लिये ही योन योग करते हैं! और वह भी इसलिये कि आपकी यही आज्ञा थी कि कर्म करो और फूलो फलो!
मानव जमा करने या दबा कर रखने में सारा जीवन लगा देता है! पर हम उस लालच से दूर हैं! अभी की भूख मिट जाय, उतने में ही संतुष्ट हो जाते हैं! कल की कल देखी जायेगी। मानवों जैसे काम और मोह से हम अछूते हैं!
अब रहा क्रोध! हम मानवों की तरह क्रोध को कंधे पर लाद कर नहीं चलते। कभी ग़ुस्सा आ भी जाय तो तुरंत निवारण भी कर लेते हैं। रात गई बात गई! फ़्रीडम फ्रोम पैसन, ऐंगर, ऐंड डिज़ायर्स!!
मानवों की तरह हम अपने बच्चों और नाती पोतों को प्यार के नाम पर नहीं बिगाड़ते! जैसे ही वे अपने पाओं पर खड़े हों, ज़रूरी है कि जितना जल्दी हो, हम उन्हें छूट दे देते हैं कि अपना अपना देखें! हमारी चिंता करने की भी ज़रूरत नहीं है! बेबी सिटिंग बस एक दो साल की ही बहुत है! पीढ़ी दर पीढ़ी दूसरों के बच्चे सँभालना हमारा रिवाज नहीं है न ही हम किसी से बंधे रहना जानते हैं! टोटल डिटैचमैंट !
मानवों की तरह हमें पद, प्रतिष्ठा, मान सम्मान, की भूख नहीं है! अहंकार से निर्लिप्त! इगोलेस ! नो इगो!
इसलिए हमारी विनम्र प्रार्थना है कि हमें भी मानवों की तरह ही इसी जनम में निर्वाण , सालवेशन, प्राप्त करने का अधिकार हो! हमारी जीवन अवधि मानवों से वैसे भी बहुत कम है! हमको तो और अधिक प्रयास करना होगा! “
भगवान ने पेटीसन पढ़ा, बड़े ध्यान से! यह तो नहीं कह पाये कि वे भी उनके किसी पिछले या पिछले से पिछले जनम में मानव ही बनकर जनमे थे और मानव जनम में किये कुकर्मों के कारण ही पशु जीवन पाया !
बोले
“मेरे प्यारे प्राणियों! मैं तुम्हारे दुख को समझता हूँ पर तुम पहले ही निर्वाण की पहली सीढ़ी पार कर चुके हो! तुम्हारे पैटिसन से साफ़ झलकता है कि तुम काम, क्रोध, मोह से मुक्त होकर त्याग के पहली छ: सीढ़ियों को पार कर चुके हो! मैं तुमको वरदान देता हूँ कि तुम शीघ्र ही मानव रूप में जन्म लोगे और त्याग की सातवीं सीढ़ी (संसार, शरीर और संपूर्ण कर्मों में सूक्ष्म वासना और अहंमभाव का सर्वथा त्याग) पार करके जनम म्रित्यु के बंधनों से मुक्त हो जाओगे! आमीन “
सब पशु नहींंंंंंंंंंंंंंंंंंंंकरके चिल्लाये और तेज़ी से वापस अपने राजा के पास पहुँचे और सारा क़िस्सा सुनाया! राजा ने उसकी बात न मानने के लिये बहुत धमकाया और दंड के रूप में उनके नेताओं को क़ैद कर लिया ताकि अब शेष जीवन उसे शिकार करने की ज़हमत न उठानी पड़े!
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