हर्ज़ क्या है?
चलें आसमांनो में,
वहां से देखें,
धरती का मर्ज़ क्या है ।
इतनी खौफ़नाक,
शायद न भी हो,
तसल्ली करने में भला,
हर्ज़ क्या है ।
भेजे गए थे यहां, जाओ,
धरती पर स्वर्ग बनाओ,
और भूल गए,
उसका कर्ज क्या है,
देवता से आदमी,
आदमी से इंसान बनने की,
तर्ज़ क्या है ।
अब भी वक्त है,
कयामत अभी दूर है,
हौसला हो तो,
जान जायेंगे मर्ज़ क्या है,
लाइलाज नहीं है,
कोशिश करने में भला,
हर्ज़ क्या है ।
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