शराफ़त का तक़ाज़ा
अब इसे शराफ़त कह लीजिये या शिष्टता या शालीनता या भद्रता, या फिर decency बात एक ही है। हम में से अधिकांश इससे हर समय जकड़े रहते हैं। अंग्रेज़ी में इसे Decency Demands Syndrome कहते हैं। घुटते रहेंगे पर चुपचाप शराफ़त का लिवास ओढ़े रहेंगे।
उदाहरणार्थ:
#अपने बड़ों के पाँव छूना भले ही ओ फूटी आँख न सुहाते हों क्योंकि शराफ़त का तक़ाज़ा है!
#घर में ख़ासकर बहुओं पर अन्याय हो रहा है पर चुप्पी साधे रखना क्योंकि शराफ़त का तक़ाज़ा है कि परिवार टूटे नही!
# दोस्तों की अनाप सनाप बकवास सुनते रहना ताकि दोस्ती बनी रहे!
#कतार में खटें हैं जबकि सब तोड़ रहे हैं क्योंकि हम क़ानून की कद्र करते हैं!
#हर हालत में क़ानून का पालन करना पर तोड़ने वालों को न रोकना क्योंकि यह हमारा काम नहीं है!
इसी तरह के कई और उदाहरण हो सकते हैं जब लगता है कि साफ़ साफ़ कह दें कि नहीं, और नहीं!!!!
शायद इसलिए कि:
@शराफ़त की आड़ में या तो दिखावा करो या चुप रहो यह सोचकर कि कुछ नहीं बदलेगा!
@या फिर इस उम्मीद में कि बदलेगा तो ज़रूर पर समय लगेगा!
@या फिर बचपन से यही सब तो सिखाया गया है!
@या फिर चेहरे पर एक नकाब ओढ़ ली है कि असली चेहरा दिख ही न पाय!
@या फिर शरीर से ही नहीं दिमाग़ से भी कमजोर हो चुके हैं!
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