Tuesday, September 1, 2020

Facebook Posters in Hindi

 

‘@कोरोनास्त्रीलिंग है या पुर्लिंग

कविता लिखनी है!



@ राम काम आये रहीम काम आये, मेरे हुक्मरान काम आये।पैदल ही चल पड़ा हूँ लंबे सफर में यारों,शायद साँस रहते रहते मेरा मुक़ाम आये।



@मैं उन उन लोगों की लिस्ट बना रहा हूँ जो मेरी पोस्ट पर कमेंट्स या लाइक नही करते हैं, समय रहते सुधर जांय वरना!!!मैं कर ही क्या सकता हूँ 😂🙏



@चेला चहकता हुआ बोला लोग आजकल धरम करम की बहुत बातें कर रहे हैं,जय विजय की शोले जैसी नई फ़िल्म रिलीज़ हुई है क्या? मैं भी देखूँगा




@दादाजी-बच्चों को बुजुर्गों की बात मानो क्योंकि बच्चोंके दिमाग़ कच्चे होते हैं और बुजुर्गों के पके।पोता-तो उन्हें बुजुर्ग नहीं पके दिमाग़ वाला कहना चाहिए 😂



‘@निकाल लाये हैं एक परिंदे को पिंजरे से,अब इस परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना है’(कोरोना से बच भी गये, डर तो रहेगा )



@केक, फूलमालायें और मां पहले भी थीं,

बस कमी थी तो मात्रिदिवस, फ़ेसबुक और ह्वाट्सअप की!

मां को अनमोल बना दिया!



@क्या ख़ूब कहा है !

यहाँ आदमी की क़ीमत नहीं, है लिवास की,

मुझे गिलास बड़ा दो शाकी, चाहे शराब कम हो।



@बीते ज़माने के धर्मवीर दानवीर दधीचि,हरिश्चंद्र रंतिदेव,शिवि के वंसज कहाँ हैं ?



@सोचा आज शुरू से शुरू करके अंत तक अंत करके ही दम लुंगा। हर पोस्ट पर लाइक और कमेंट दूँगा। तर्जनी पर छाला पड गया पर अंत नहीं आया! चलो कोई नी



@अम्फान ठहर गया।समुद्र में नंगे पाँव खड़ा पाँच साल का बच्चा बोला समुद्र तू हज़ार बार मेरे पाँव चूम ले, तुझे माफ़ नहीं करुंगा, तूने मुझसे मेरे माँ बाप छीने हैं!



@कइयों को बोलते सुना होगा पैसा क्या है? हाथ का मैल। या हर चीज़ पैसे से नहीं ख़रीदी जा सकती! पर खाना, कपड़ा और घर पैसे से ही तो मिलता है! जिनके पास नही है, उनसे पूछो! तरस रहे हैं!


@इतवार- सूर्य देव

सोमवार-शिव जी

मंगलवार-हनुमानजी

बुद्ध वार-गणेश जी

ब्रिहस्पत वार-विष्णु भगवान/गुरु देव

शुक्रवार-लक्ष्मी, दुर्गा, अन्नपूर्णा, संतोषी माँ 

शनिवार- शनिदेव 


@एक हैट, दो डिज़ाइनर सूट, तीन मैचिंग सर्ट और टाइ, चार फ़ैंसी जूते पाँच महीने पहले ख़रीदे थे। कोरोना के चलते सब आलमारी में पड़ें हैं।



@जीवन और जीविका अजीब सिलसिला है,एक के बिना दूसरा भला किस काम का है।कल रात सोया था इक ख़्वाब लेकर, तू है कि मेरी हस्ती मिटाने पे तुला है



@दादा जी-जब मैं तुम्हारी उम्र का था तो किसी की बकवास बर्दाश्त नहीं करता था। 

साल का पोता-मैं भी नहीं। पर दादाजी ये बकवास होता क्या है?


@कितने चेहरों में बंट गये हैं हम,

ख़ुद को खुद ही भूल गये हैं हम,

बडे दावे किये थे इन्सानियत के

मेरी, तेरी, उसकी में खो गये हैं हम।


@अंगूर सूखें तो महँगी किशमिश,

बुख़ारे सूखें महँगे आलूबुख़ारे!

आदमी सूखे तो ?



@कितना डाँटतीं माँ बचपन में-एक सीधी लाइन तक नहीं खींच सकता?वेंटिलेटर में धीमी साँस ले रहा हूँ,माँ कह रही है हे भगवान ईसीजी की लाइन टेढ़ी कर दे🙏



No comments:

Post a Comment

Universal Language of Love and Hate.

Universal Language of Love and Hate. Sometimes, I wonder, why humans developed languages or even need them? If we look back, we will realize...