ऐ बेटा त्यार मुख पर म्वालु बांध्यूं ह्वाल न !
काकी उमर मा में से द्वी तीन साल बड़ी च और रिस्ता मां भी बडी च! कभी मितै नाम लेकि नी बुलाई! जब भी आमणि सामणि हुवां त - ठीक छे बेटा? बेटा क्या हूणै च? यनि कैक बच्यांदि छे! मीन ब्वाल भी च - काकी हम उमर छवां नाम लेकि किलै नि बुलांदि? काकी ब्वाल- काकी छौं तेरी, मेरी मर्ज़ी!
बाद मा गाँव से बाहर ऐग्यूं त - कब ऐ बेटा? कब जाण बेटा? और कत्ति शब्द जुडि गेन पर बेटा नि छुट!
आज जब उमर क हिसाब से सचमुच बाबा ह्वे ग्यूं त तब भी यनि बोलद जन अभि भी बेटा हि छौं😂
काकी गाँव मा रंद! काका त दस साल पैलि चलि बसी गे छे।लड़का लड़की अपर अपर परिवार क दगड क्वी कखी क्वी कखी! बीच बीच मा आणै जाणै रंदन! ऊन ब्वाल बिच कि अकेला गाँव मा ठीक नी पर काकी न ब्वाल
अकेला कख छौं मि ? गाँव मा सबि अपण ही त छन! मी यखि ख़ुश छौं!
पता चल कि काकी की तबीयत ठीक नी च बल! कोरोनात बहाना च पर वनि भी गाँव कख जायांद? जै त नि
शक्यांदु पर फ़ोन पर बात त कैरी सकुदु! भाई से काकी कु नंबर माँग और बजै द्यै घंटि!!
काकी-
कु बुनै च?
मी-
काकी मी छौं!
काकी-
मी कु, त्यार नाम नी?
मी-
म्यार नाम बेटा च!
काकी-त यन बोलदि! सेवा सौंलि कुछ न त पछाण कन कैक
कन?
मी-
मील स्वाच आवाज़ से पछाणि लेलि!
काकी-बेटा अब अपरि आवाज़ नि पछाणि सकुद तेरी कनकैक पछाण जु द्वी चार साल मा दिख्यांदि?
मी-कवी बात नी काकी! पता चल कि तबियत ख़राब छे बलअब कन च?
काकी-अब ठीक च! बुख़ार छे ! रमेश त यनि परेशान ह्वे जांद! कुछ नी ह्वे मितै!
मी-बढ़िया! और क्या हूणै, टैम कटि जांद यखुलि यखुलि?
काकी-कैक यखुलि? सोचणै ह्वेली तु भैर चलि गे त गाँव ख़ाली ह्वे! ते जाणि कत्ति लोग चलि गेन पर गाँव मा लोग अभि भी छन रे! लोग कम छन, कुछ कूड बंद छन, कुछ टुटि
गेन पर जु भी बच्यां छन बहुत छन!
मी-बढ़िया बात! म्यार मतलब खेती बाड़ी त अब रै नी और तुमन त सारी जिंदगी पुंगडी पाटलि संभांलिन,गोर बाखर चरैंन!
काकी-
हाँ स्या बात च पर म्यार त ठीक चलणै च।कूड क सामिणी जु पुंगडी छन वख साग सब्ज़ी अब भी हूंद! चार बाखर भी पाल्यां छन! अब चराणों कुण दूर नी जाण पडद।
मी-
काकी तुमार त ठाट छन! पेंशन भी मिलणाई होलि?
काकी-
बुनै रैन पर मीन ना बोलि दे.रमेश हर मैना खाता माँ डालिदींद! कैक सामिणी हाथ फैलांण मा शर्म आंद! जब नी
हूंद त बात अलग च।
मी-
हाँ, रमेश समझदार लडका च।यख शहरूं मा त कोरोना कु परकोप पड्यूं च वख क्या
हाल छन?
काकी-यख भी डरानै त छन पर अब तक त सब ठीक ही च।कत्ती घर वापस आईं छन। कुछ दिन स्कूलम रैन।गाँव भर्यूं भर्यूं लगणै च।
मी-
ठीक च काकी, फिर बात करुलु।
काकी-अरे बेटा ! त्यार मुख पर म्वाल बाँध्यूं ह्वाल न! यख भी
बाँटि गेन।
मी- काकी जब भैर जाण पडद तब म्वाल लगाण पडद।यख वैकुण मास्क बोल्दन।
काकी-जु भी बोल्द ह्वाल, लगदु त म्वाल ही च! घर मा त नि
पैरण पडद न?
मी-काकी! घर मा त तुम्हारी ब्वारी गिच्च नी खोलिन दींद।म्वाल की जरूरत ही नी पटदि!
काकी-चुप कर! मितै सब पता च! मेरि ब्वारि बहुत बढिया च।
मी-
अच्छा काकी, फिर बात करुलु!
(बहुत देर तक काकी की हँसी गुंजणै रै फ़ोन पर!)
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