क्वी बात नी
रूणै किलै छे तु? ठीक ठीक बता ह्वे क्या च।
“फ़ैक्टरी वालन ब्वाल अपर अपर घर जाव। पता छोडि जाव । फ़ैक्टरी खुलैलि त बुलै ल्यूला ।दिन रात कमर तोड़ काम करवांद छे पर यन ना कि ज्यादा न त एक मैनाकि तनख़्वाह एडवांस दें द्याव। थोडा बहुत बैंक माँ पड्यूं छे त बची ग्यूं।
दिल्ली बिटीक कनि कैक कोटद्वार औं। आण से पैली डाक्टरम ग्यूं चेक कराणौक कखि करोना त नि लगि गे। वेन पूछ सूखी खांसी च? बुख़ार च? शरीर माँ जकड़न च? मि मुंडी हिलैकि ना बुनै रौं। वेन ब्वाल तब ठीक च चिंता न कर । कैक नज़दीक न जै । एक चिट्ठी दे द्याव कि मितै करोना नी। क्वी पूछलू त दिखै द्यूल । वेन दे द्ये । भलु आदिम च। फ़ीस डबल ले पर ठीक च।
बस खचाखच भरीं छे। रस्ता भर लोग कन कन बात करनै छे। कैन ब्वाल पता नी कोटद्वार बिटीन जाण द्याल कि ना।। बस, जीप, टैक्सी मिलली कि ना। पैदल जाण पड़ोल। कैन ब्वाल गाँव वाल मना करनै छन, डरानै छन। कंडाली लगैकि भगाणै छन बल। मी बोनु वाल छे कि बनचूरी माँ यन नी ह्वे सकद पर चुप ही रौं।
कोटद्वार बस अड्डा पर ज़बर्दस्त भीड़। पुलिस वाल डंडा लेक चक्कर लगाणै छे। बनचुरी त बन भी बस नी चलदि । जीप अड्डा पर ग्यूं। एक भी जीप न। बडि देर बाद एक जीप ऐ।
जनि जीप माँ बैठण कु कोशिश कर पुलिस सिपै न पूछ :
“कहाँ से आया?”
मीन ब्वाल दिल्ली से ।
“करोना का बीमार तो नहीं?”
मीन ब्वाल ना. डाक्टर कु सर्टिफिकेट च मीम
“दिखा”
डाक्टर क सर्टिफिकेट देखीक जीप माँ बैठण दे।
जीप वाल भैजी ज़रा परेशान दिखेणै छे। हम सब दस सवारी ह्वे गे छे। दुपैरि द्वी बजिक टैम। हमन ब्वाल भैजि चलो देर न कौरु । वेन ब्वाल भय्यों बुरु न मानिन पैसा ज़्यादा लगलु । सब्यून पूछ कतूक? वेन ब्वाल नारमल से पाँच गुना। द्वी उतरि गेन । बाकि सब राज़ी । जतूक माँग दे द्ये। दीणी छे। कनु भी क्या छे? जीप वालक भी क्या दोष? डीज़ल नी मिलणै बल। दुगुण तिगुण दाम पर चोरी से बिकणै च बल। सच त भगवान ही जाणदु ।
दुकानी क सामिणी जीप रुकैक उतरि ग्यूं। तीन चार लोग बैठ्यां छे। मी दूर दूर ही रौं। पता नी झिडिकि द्याल त? सब तै पता च मि दिल्ली रौंदूँ और वख करोना फैल्यां च। अंद्धारू हूण लगि छे। घरैकि तरफ घुमणाई छे कि रग्घु काका न पूछ अरे कन छे तू? दिखणै भी नि छे, सेवा त रै दूर! मेरी तरफ ऐन और अंग्वाल भरि क ब्वाल ठीक कर तीन टैम पर अपर घर ऐ गे।
ऐ ब्वे इ ख़ुशी क आंशू छन।"
ब्वे बेटा देर तक रूंणै रैन।
खाणुक ख़ैकि द्वी बौत देर तक बंच्याणै रैंन।बेटा न ब्वाल अब मीन दिल्ली नी जाण। गाँव माँ पुंगडी पाटलि संभांलु। साग सब्ज़ी उगौलु, बाखर पाललु।
ब्वे ब्वाल क्वी बात नी, तू घर ऐ गे, अब क्वी चिंता नी। सब ठीक ह्वे जालु। से जा।
पता नी परबात क्या ह्वालू पर लक्षण ठीक ही लगणै छन।
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