उत्तराखंड भ्रमण-1: बनचूरी
पिछल हफ्ता गांव बिटीक
लौटु। बनचूरी बिटीक । अब यन ना बोलिन बनचूरी कख च। सारी उत्तराखंड मां एक ही
बनचूरी च। भ्रमण क्या, जड़ो से जुडणैकी कोशिश । अब तक त चार पांच सालम एक
चक्कर लगीं जाद, भविष्य मां भी कोशिश जारी रैली । बीरू भाई और ब्वारी
जिंदाबाद । दिल्ली बिटीक चलीक रात नजीबाबाद रवाँ। स्याल क फार्म हाउस मां ।
चारीतरफ हरे भरे खेत । कोटद्वार शिद्धबली मंदिर क दर्शन कर । अगली दिन सुबेर
बनचूरी कुण रवाना । सीधे देवी क दर्शन । फिर गांव । आज त देवी क डान्ड तक
सडक च। वु दिन भी छै जब गांव बिटीक द्वी मीलैकि सीधी उकाल् एक घंटाम पार
करद छै। मंदिर मां चार नवजवान लड़का छै। पूजा क बाद वू हमसे पैली सार्ट कट
से पैदल गांव ऐ गीन और हम घुमावदार सड़क क रस्ता बाद मां । मंदिर
पौलिटिक्स बात अच्छी नी लगी पर जख द्वी बर्तन ह्वाल खनखनाहट त लाजिमी च और अगर बीच मां रुप्या पैसा भी ऐ जाव त घमशाण भी ह्वै
सकद।
पिछल हफ्ता गांव
बिटीक लौटु। बनचूरी बिटीक । अब यन ना बोलिन बनचूरी कख च। सारी उत्तराखंड मां
एक ही बनचूरी च। भ्रमण क्या, जड़ो से जुडणैकी कोशिश । अब तक त चार पांच सालम एक चक्कर लगीं जाद, भविष्य
मां भी कोशिश जारी रैली । बीरू भाई
और ब्वारी जिंदाबाद ।
दिल्ली बिटीक चलीक रात नजीबाबाद रवाँ। स्याल क फार्म हाउस मां । चारीतरफ हरे भरे खेत । कोटद्वार शिद्धबली मंदिर क दर्शन कर । अगली दिन सुबेर बनचूरी कुण रवाना । सीधे देवी क दर्शन । फिर गांव । आज त देवी क डान्ड तक सडक च। वु दिन भी छै जब गांव बिटीक द्वी मीलैकि सीधी उकाल् एक घंटाम पार करद छै। मंदिर मां चार नवजवान लड़का छै। पूजा क बाद वू हमसे पैली सार्ट कट से पैदल गांव ऐ गीन और हम घुमावदार सड़क क रस्ता बाद मां ।
मंदिर पौलिटिक्स बात अच्छी नी लगी पर जख द्वी बर्तन ह्वाल खनखनाहट त लाजिमी च और अगर बीच मां रुप्या पैसा भी ऐ जाव त घमशाण भी ह्वै सकद। ज्यादा जानकारी नी च, और क्या बोलण । छोटु मुंह बड़ी बात क इल्जाम किलाई लीण।
टुट्या फुट्या कूडूक बात पुराणी ह्वे ग्या । कुछ घरों मां अब भी चुल्ल जलणाई छन, या बात अलग च कि लाखुडूक जगह गैस सिलेंडर ऐ ग्ये । वल ख्वाल मां सबी घर आबाद छन । पल्लि ख्वाल बस चार परिवार । डंगुल्ड भी पांच परिवार ।
पता चल कि मथि बनचुरी मां भी यनि हाल छन। पर सांस चलणाई छ। चहल पहल छै च।
ज्यादा तर बुजुर्ग ही छन। एक चक्कर सारी गांव क लगाई त महसूस ह्वै कि गांव जिंदा च। सबी बड प्यार से मिलिन । भाई भरोसा नंद जी जु उमर मां बड छन, पुरानी याद ताजा ह्वेन। बस वी छन जौकं पाँव छूणक मौका मिल । बाकी सब त मिताई सेवा लगाणाई छे । बुढापा मां कुछ त फैदा च। भाई चिरुडू, घ्यालू (माफ़ी चाँदु बचपन क नाम से बुलाणाई छौ ) अब भी ज्वान छन।
ज्यादातर बिठलार ही रैगीन गांव मां । बेटा रोज़ी रोटी क चक्कर मां बैहर चलि गेन, दगड मां ब्वारी बच्चों ताई भी ली गीन। बेट्यून त जाण ही छे। कन्या दान करण क बाद हक भी क्या च।
सारी गांव मां चार पांच घरम लैन्द च। जैक नी च, ऊमन खरीदणाई छन। उ दिन ग्या जब कैक घर म लैन्द नी च और अचानक मेहमान ऐ गीन त मांगी मूँगी क काम चल जान्द छे। वन अब भी चल सकद पर जब पैसा छन त एहसान किलाई ।
बल्द कैम नी छन । जरूरी भी नी। खेती नी त बल्द बेकार । राशन मां सब मील द।
गांव मां सरकारी प्राइमरी स्कूल, इंटर कालेज, अस्पताल सब च। कालेज मां 250 से ऊपर विद्यार्थी छन । पता चल कि परीक्षा क बाद स्कूल बंद च। प्रिंसिपल बी पी पेटवाल जी से मुलाकात नी ह्वै सैकि । बहुत इच्छा छे। बहुत अच्छ तरीका से बच्चों क भविष्य सारणाई छन।
सबूक घर क आस-पास प्याज, लहसुन, अदरक आदि लगायूअं च पर बाअंदर नी छोडद । पता चल कि हरिद्वार रिशिकेश से ट्रक भरीक रात मां बंदरू ताई गांवों मां छोडि दीदन । शहरी बंदर गांव वाल पर गुस्सा उताणाई छन।
एक जमान मां लड़का नोकरी पर च और ठीक ठाक कमाणिई च त ब्वारी मीलण मां खास परेशानी नी हूँदि छे। अब जरूरी च कि वू ब्वारी ताई अपर दगड शहर मां राखी सकद कि ना। अगर ना त रिस्ता मुश्किल । द्वी घरम त यनी जबाब मील। लडकी गांव मां नी रैण चाँद । लडकी क मां बाप भी नी चाँद ।
समय क अभाव मां एक ही रात रवाँ । अगली दिन सुबेर रिशीकेश।
दिल्ली बिटीक चलीक रात नजीबाबाद रवाँ। स्याल क फार्म हाउस मां । चारीतरफ हरे भरे खेत । कोटद्वार शिद्धबली मंदिर क दर्शन कर । अगली दिन सुबेर बनचूरी कुण रवाना । सीधे देवी क दर्शन । फिर गांव । आज त देवी क डान्ड तक सडक च। वु दिन भी छै जब गांव बिटीक द्वी मीलैकि सीधी उकाल् एक घंटाम पार करद छै। मंदिर मां चार नवजवान लड़का छै। पूजा क बाद वू हमसे पैली सार्ट कट से पैदल गांव ऐ गीन और हम घुमावदार सड़क क रस्ता बाद मां ।
मंदिर पौलिटिक्स बात अच्छी नी लगी पर जख द्वी बर्तन ह्वाल खनखनाहट त लाजिमी च और अगर बीच मां रुप्या पैसा भी ऐ जाव त घमशाण भी ह्वै सकद। ज्यादा जानकारी नी च, और क्या बोलण । छोटु मुंह बड़ी बात क इल्जाम किलाई लीण।
टुट्या फुट्या कूडूक बात पुराणी ह्वे ग्या । कुछ घरों मां अब भी चुल्ल जलणाई छन, या बात अलग च कि लाखुडूक जगह गैस सिलेंडर ऐ ग्ये । वल ख्वाल मां सबी घर आबाद छन । पल्लि ख्वाल बस चार परिवार । डंगुल्ड भी पांच परिवार ।
पता चल कि मथि बनचुरी मां भी यनि हाल छन। पर सांस चलणाई छ। चहल पहल छै च।
ज्यादा तर बुजुर्ग ही छन। एक चक्कर सारी गांव क लगाई त महसूस ह्वै कि गांव जिंदा च। सबी बड प्यार से मिलिन । भाई भरोसा नंद जी जु उमर मां बड छन, पुरानी याद ताजा ह्वेन। बस वी छन जौकं पाँव छूणक मौका मिल । बाकी सब त मिताई सेवा लगाणाई छे । बुढापा मां कुछ त फैदा च। भाई चिरुडू, घ्यालू (माफ़ी चाँदु बचपन क नाम से बुलाणाई छौ ) अब भी ज्वान छन।
ज्यादातर बिठलार ही रैगीन गांव मां । बेटा रोज़ी रोटी क चक्कर मां बैहर चलि गेन, दगड मां ब्वारी बच्चों ताई भी ली गीन। बेट्यून त जाण ही छे। कन्या दान करण क बाद हक भी क्या च।
सारी गांव मां चार पांच घरम लैन्द च। जैक नी च, ऊमन खरीदणाई छन। उ दिन ग्या जब कैक घर म लैन्द नी च और अचानक मेहमान ऐ गीन त मांगी मूँगी क काम चल जान्द छे। वन अब भी चल सकद पर जब पैसा छन त एहसान किलाई ।
बल्द कैम नी छन । जरूरी भी नी। खेती नी त बल्द बेकार । राशन मां सब मील द।
गांव मां सरकारी प्राइमरी स्कूल, इंटर कालेज, अस्पताल सब च। कालेज मां 250 से ऊपर विद्यार्थी छन । पता चल कि परीक्षा क बाद स्कूल बंद च। प्रिंसिपल बी पी पेटवाल जी से मुलाकात नी ह्वै सैकि । बहुत इच्छा छे। बहुत अच्छ तरीका से बच्चों क भविष्य सारणाई छन।
सबूक घर क आस-पास प्याज, लहसुन, अदरक आदि लगायूअं च पर बाअंदर नी छोडद । पता चल कि हरिद्वार रिशिकेश से ट्रक भरीक रात मां बंदरू ताई गांवों मां छोडि दीदन । शहरी बंदर गांव वाल पर गुस्सा उताणाई छन।
एक जमान मां लड़का नोकरी पर च और ठीक ठाक कमाणिई च त ब्वारी मीलण मां खास परेशानी नी हूँदि छे। अब जरूरी च कि वू ब्वारी ताई अपर दगड शहर मां राखी सकद कि ना। अगर ना त रिस्ता मुश्किल । द्वी घरम त यनी जबाब मील। लडकी गांव मां नी रैण चाँद । लडकी क मां बाप भी नी चाँद ।
समय क अभाव मां एक ही रात रवाँ । अगली दिन सुबेर रिशीकेश।
No comments:
Post a Comment