उत्तराखंडी संस्क्रति मा फ़ेसबुक कु योगदान
( फ़ेसबुक मा ह्वाट्सअप भी शामिल झ)
कत्ती बार सोचुदू कि क्या फ़ेसबुकन हमतायी नै पहचाण दै? मन तो नि मानदू पर दिमाग बुनै छ कि, हाँ। आजकल फेसबुकस पर देखणायी छौ कि क्वी ढोल और दमारू बजाणै छ त क्वी मशक फूँकणै छ। क्वी पहाड़ी गीत पर थिरकणै छ त क्वी मंगल गीत गाणै छ। क्वी जांदरू घुमाणै छ त क्वी ओखल माँ साट्टी कुटणै छ। क्वी हल् लगाणै छ त क्वी बीज बूणै छ। क्वी बल्द तायी घास खिलाणै छ त क्वी गौडी पिजाणै छ। क्वी क्वी त उबर् मा चुलैक सामिणी रोटी भी बेलणै छ।
यूं सब मा एक बात कामन छ। सब रंग बिरंग कपडौं मा छन। क्वी क्वी त नै नै पारंपरिक कपड़ों मा लदैं छन। दादी, चाची, बौडी, ब्वारी, बेटी, बैण, और यख तक कि घरवालि भी ज़ेवरों मा सजीं छन। नथनी, बुलाक फिर से फ़ैशन मा ऐ ग्ये। कैन ब्वाल कि गढ़वाल ग़रीब छ।
शहरों मा ख़ासकर लड़कियाँ गढ़वाली गीत गाणै छन और वीडियो पोस्ट करणै छन। गाँव जैकन फ़ोटो और वीडियो खींचीक पोस्ट करणै छन। कुछ त टूटीं फूटीं गढ़वाली भी बोलणै छन। गढ़वाली खान पान - कोदे की रोटी, झंगोरे की खीर, गहथ का फांणू, पलेऊ, बाड़ी, - आदि की थालीक फ़ोटो देखीक लगद कि पुराण दिन वापस आण वाल् छन। दिल्ली- एनसीआर, मुम्बई , जयपुर , चंडीगढ़, लखनऊ, जख भी दैखो अचानक ही उत्तराखंड की संस्क्रति हिलोरें लीणै छ। बेडु पाको बारह मासा की धुन पर पाँच सितारा होटलों मा महफ़िल सजीं छन। पांडव नर्ित्य पर ढाल तलवार लेकर योद्धा झूजें छन।
मील् सोच् रे हरि, अंग्रेज़ी, हिन्दी बौत ह्वे ग्ये , गढ़वाली मा कोशिश कर। शायद ज़्यादा लाइक मिल जौ। कन लग, ज़रूर बतैन।
( फ़ेसबुक मा ह्वाट्सअप भी शामिल झ)
कत्ती बार सोचुदू कि क्या फ़ेसबुकन हमतायी नै पहचाण दै? मन तो नि मानदू पर दिमाग बुनै छ कि, हाँ। आजकल फेसबुकस पर देखणायी छौ कि क्वी ढोल और दमारू बजाणै छ त क्वी मशक फूँकणै छ। क्वी पहाड़ी गीत पर थिरकणै छ त क्वी मंगल गीत गाणै छ। क्वी जांदरू घुमाणै छ त क्वी ओखल माँ साट्टी कुटणै छ। क्वी हल् लगाणै छ त क्वी बीज बूणै छ। क्वी बल्द तायी घास खिलाणै छ त क्वी गौडी पिजाणै छ। क्वी क्वी त उबर् मा चुलैक सामिणी रोटी भी बेलणै छ।
यूं सब मा एक बात कामन छ। सब रंग बिरंग कपडौं मा छन। क्वी क्वी त नै नै पारंपरिक कपड़ों मा लदैं छन। दादी, चाची, बौडी, ब्वारी, बेटी, बैण, और यख तक कि घरवालि भी ज़ेवरों मा सजीं छन। नथनी, बुलाक फिर से फ़ैशन मा ऐ ग्ये। कैन ब्वाल कि गढ़वाल ग़रीब छ।
शहरों मा ख़ासकर लड़कियाँ गढ़वाली गीत गाणै छन और वीडियो पोस्ट करणै छन। गाँव जैकन फ़ोटो और वीडियो खींचीक पोस्ट करणै छन। कुछ त टूटीं फूटीं गढ़वाली भी बोलणै छन। गढ़वाली खान पान - कोदे की रोटी, झंगोरे की खीर, गहथ का फांणू, पलेऊ, बाड़ी, - आदि की थालीक फ़ोटो देखीक लगद कि पुराण दिन वापस आण वाल् छन। दिल्ली- एनसीआर, मुम्बई , जयपुर , चंडीगढ़, लखनऊ, जख भी दैखो अचानक ही उत्तराखंड की संस्क्रति हिलोरें लीणै छ। बेडु पाको बारह मासा की धुन पर पाँच सितारा होटलों मा महफ़िल सजीं छन। पांडव नर्ित्य पर ढाल तलवार लेकर योद्धा झूजें छन।
मील् सोच् रे हरि, अंग्रेज़ी, हिन्दी बौत ह्वे ग्ये , गढ़वाली मा कोशिश कर। शायद ज़्यादा लाइक मिल जौ। कन लग, ज़रूर बतैन।
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