Thursday, August 9, 2018

Baki sab Theek Chhan


बाकि सब ठीक छन

शांता बौ  गांव मां ही रंद । जाण भी कख च। जब तक दादा बच्य्नू छे एक द्वी बेर लड़िक ब्वारी और नाती नतणौ ताई देखणौक बंबई गै छे । दादा क जाणक बाद कखी नी गे।
जगजीत कबी कबी ऐ जान्द । पिछल मैना ऐ छे। एक मोबाइल देगे । चार्ज कन करण, घंटि बजण पर कु बटण दबाण सिखै गे। यन नी कि बौ की याददाश्त कमजोर च पर आन्ख कमजोर ह्वै गेन । की पैड पर कुछ नी दिख्यान्दू।
ब्यालि बौ न ब्वाल कि हे चैतु जग्गू कुण एक चीठ्ठी लिखणी छे। मीन ब्वाल परबात सुबेर  ऐकन लेखुलु। यखम  ई बताण जरूरी च कि गांव मां  अब हम गिनती क दस बूढ बुढ्या  और चार परिवार  और छन। एक टाइम छे जब गांव मां रौनक रैदि छे। मछख्वाल, वलिख्वाल, पलिख्वाल, मुडख्वाल मिलाइक तीस परिवार छे।  100/150 लोग गांव मा रंद छे। खूब रौनक छे। आपस मा लड़द झगड़द छे पर दुख सुख मा शामिल रंद छै। अब सब उन्द  चलि गेन,  मतलब शहरी ह्वै गेन । अब क्वी झगड़ा करणौक बि नी।
मी भी क्वी ज्यादा पढ्यू लिख्यू नि पर काम चलाणकुण खार्यून्  छौं ।  कागज़ कलम, लिफ़ाफ़ा क इंतजाम रंद च।
खैर,  दुसर दिन बौ क दरवार मा हाज़िर । बौ बोल्द गे, मी लिखद ग्यू।

म्यार बेटा जग्गू,
खुश रै, राजी रै। मी ठीक छौं । जब तक हथ खुट चलणाई  छन, ज्यादा फिकर करणैकी बात नी।  फिकर करीक कन बि क्या च।  न त तू फोन करदी, न मीताई करुण  आन्दु । चैतु काका से चिठ्ठी लीखवाअंणाई छौं । फोन त तु देगे पर म्यार बस की नी । आन्ख कमजोर ह्वै गेन । बाकी सब ठीक छन ।
बिना दूधैकि चाय मा  क्वी श्वाद नी। मुड़ख्वाल झाबा ब्वारी दूध दे जान्दि छे, गौड बिसिक ग्या । गांव मा और कैक लैन्द नीं च। बिहारी क दुकान बिटीक पाउडर मंगाई। भले ह्वेन ऐ बिहारी कु जु अपर देश छौड़ीक हमारी जरूरत पूरी करणाई च। बाकी सब ठीक छन ।
सग्वाड़ सब बांझ पड़्याअं छन। बिहारी क दुकानीम आलु प्याज मील जान्द । बाकी सामान भी वखी बिटीक ऐ जान्द ।      काम चलणाई च। बाकी सब ठीक छन ।
पकाण भी कैन च। प्रेमैकि ब्वारी कुण ब्वाल, मना कर दै। सुबेर कुछ पकाई लीन्दु । बिहारी क दुकान बिटीक ब्रेड मंगाई, गरम कैक, प्याज भून  और काम चल गै। बाकी सब ठीक छन।
गांव सुनसान च। हमार ख्वालम मी छौं । डिग्गी म पानी छै  च।  छोटी  बाल्टी भरीक लान्दु।  बट्टा भरीक नी लै सकुद।  द्वी तीन बेरि जाण पड़द।  बाकी सब ठीक छन ।
बुनाइ छन कि स्कूल बंद ह्वै सकद। द्वी मास्टर और दस बच्चा। जब हमार गांव मा स्कूल छै छे त अगल बगल क गांव मा स्कूल खोलणैकी क्या जरूरत छे। एक द्वी मील त बच्चा तनी ऐ जान्द छे।  पैली बि त आन्द छै। सब ताई मिलाइक एक करणाई छन बल। खैर मिताई क्या । म्यार ल्याखन। बाकी सब ठीक छन ।
तबियत भी ठीक च। ई उमर मा कुछ न कुछ लग्यू रंद । पान्च दिन से हल्कु बुखार च। ठीक ह्वै जालू । बोलणकुण गांव मा प्राथमिक चिकित्सालय च पर डाक्टर नी। कंपाउंडर चलाणाई च। वैन बि क्या कन, दवाई खत्म छन। पता नी कब आलि। तु चिंता नी करी। बाकी सब ठीक छन ।
हाँ बताण भूलि ग्यू। त्यार मूल चाचा नि रै। बिन्डि दिन बिटीक बीमार छे। दगड त बस चाची छे। बड़ी मुश्किल  से आस पास क  गांव से कुछ लोग जुटेन । नदी जैकन फूंक  ऐन। लड़का तीन दिन बाद  आई। तेरवी करीक चलि जालू बल। बाकी सब ठीक छन ।
मिताई पता च कि तु बोलिल बंबे ऐ जा। नी ऐ सकदू। अब कब कुण  आण। ज्यादा कटि गै,  थोड़ा रयी च। पैसा तु भेजी दीन्द। बाकी सब ठीक छन ।
ऐ बारी घर  ऐली त ब्वारी और बच्चों ताई जरूर लै। छोट छोट छै जब देख छै। अब त ज्वान ह्वै गे ह्वाल । बाकी सब ठीक छन ।
अपर और बच्चों क ख्याल राखी । और बोलु भी त क्या ।

मां





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