बाकि सब ठीक छन
शांता बौ
गांव मां ही रंद । जाण भी कख च। जब तक दादा बच्य्नू छे एक द्वी बेर लड़िक
ब्वारी और नाती नतणौ ताई देखणौक बंबई गै छे । दादा क जाणक बाद कखी नी गे।
जगजीत कबी कबी ऐ जान्द । पिछल मैना ऐ छे। एक
मोबाइल देगे । चार्ज कन करण, घंटि बजण पर कु बटण दबाण सिखै गे। यन
नी कि बौ की याददाश्त कमजोर च पर आन्ख कमजोर ह्वै गेन । की पैड पर कुछ नी
दिख्यान्दू।
ब्यालि बौ न ब्वाल कि हे चैतु जग्गू कुण एक
चीठ्ठी लिखणी छे। मीन ब्वाल परबात सुबेर
ऐकन लेखुलु। यखम ई बताण जरूरी च कि
गांव मां अब हम गिनती क दस बूढ
बुढ्या और चार परिवार और छन। एक टाइम छे जब गांव मां रौनक रैदि छे।
मछख्वाल, वलिख्वाल, पलिख्वाल, मुडख्वाल मिलाइक
तीस परिवार छे। 100/150
लोग गांव मा रंद छे। खूब रौनक छे। आपस मा लड़द झगड़द छे पर दुख सुख मा शामिल रंद छै।
अब सब उन्द चलि गेन, मतलब शहरी ह्वै गेन । अब क्वी झगड़ा
करणौक बि नी।
मी भी क्वी ज्यादा पढ्यू लिख्यू नि पर काम
चलाणकुण खार्यून् छौं । कागज़ कलम, लिफ़ाफ़ा क
इंतजाम रंद च।
खैर,
दुसर दिन बौ क दरवार मा हाज़िर । बौ बोल्द गे, मी लिखद ग्यू।
“म्यार
बेटा जग्गू,
खुश रै, राजी रै। मी ठीक
छौं । जब तक हथ खुट चलणाई छन, ज्यादा
फिकर करणैकी बात नी। फिकर करीक कन बि क्या
च। न त तू फोन करदी, न
मीताई करुण आन्दु । चैतु काका से चिठ्ठी
लीखवाअंणाई छौं । फोन त तु देगे पर म्यार बस की नी । आन्ख कमजोर ह्वै गेन । बाकी
सब ठीक छन ।
बिना दूधैकि चाय मा क्वी श्वाद नी। मुड़ख्वाल झाबा ब्वारी दूध दे
जान्दि छे, गौड बिसिक ग्या । गांव मा और कैक लैन्द नीं च।
बिहारी क दुकान बिटीक पाउडर मंगाई। भले ह्वेन ऐ बिहारी कु जु अपर देश छौड़ीक हमारी
जरूरत पूरी करणाई च। बाकी सब ठीक छन ।
सग्वाड़ सब बांझ पड़्याअं छन। बिहारी क दुकानीम
आलु प्याज मील जान्द । बाकी सामान भी वखी बिटीक ऐ जान्द । काम चलणाई च। बाकी सब ठीक छन ।
पकाण भी कैन च। प्रेमैकि ब्वारी कुण ब्वाल,
मना
कर दै। सुबेर कुछ पकाई लीन्दु । बिहारी क दुकान बिटीक ब्रेड मंगाई, गरम
कैक, प्याज भून और काम चल गै।
बाकी सब ठीक छन।
गांव सुनसान च। हमार ख्वालम मी छौं । डिग्गी म
पानी छै च। छोटी
बाल्टी भरीक लान्दु। बट्टा भरीक नी
लै सकुद। द्वी तीन बेरि जाण पड़द। बाकी सब ठीक छन ।
बुनाइ छन कि स्कूल बंद ह्वै सकद। द्वी मास्टर
और दस बच्चा। जब हमार गांव मा स्कूल छै छे त अगल बगल क गांव मा स्कूल खोलणैकी क्या
जरूरत छे। एक द्वी मील त बच्चा तनी ऐ जान्द छे।
पैली बि त आन्द छै। सब ताई मिलाइक एक करणाई छन बल। खैर मिताई क्या । म्यार
ल्याखन। बाकी सब ठीक छन ।
तबियत भी ठीक च। ई उमर मा कुछ न कुछ लग्यू रंद
। पान्च दिन से हल्कु बुखार च। ठीक ह्वै जालू । बोलणकुण गांव मा प्राथमिक
चिकित्सालय च पर डाक्टर नी। कंपाउंडर चलाणाई च। वैन बि क्या कन, दवाई
खत्म छन। पता नी कब आलि। तु चिंता नी करी। बाकी सब ठीक छन ।
हाँ बताण भूलि ग्यू। त्यार मूल चाचा नि रै।
बिन्डि दिन बिटीक बीमार छे। दगड त बस चाची छे। बड़ी मुश्किल से आस पास क
गांव से कुछ लोग जुटेन । नदी जैकन फूंक
ऐन। लड़का तीन दिन बाद आई। तेरवी
करीक चलि जालू बल। बाकी सब ठीक छन ।
मिताई पता च कि तु बोलिल बंबे ऐ जा। नी ऐ सकदू।
अब कब कुण आण। ज्यादा कटि गै, थोड़ा रयी च। पैसा तु भेजी दीन्द। बाकी
सब ठीक छन ।
ऐ बारी घर
ऐली त ब्वारी और बच्चों ताई जरूर लै। छोट छोट छै जब देख छै। अब त ज्वान
ह्वै गे ह्वाल । बाकी सब ठीक छन ।
अपर और बच्चों क ख्याल राखी । और बोलु भी त
क्या ।
मां”