हर हर गंगे
एक खयाल, बस ऐसे ही ।
ईसाइयों में
प्रावधान है कि गिरजाघर में जाकर गुनाह स्वीकार करने पर माफ़ी मिल जाती है ।
हिंदु लोग के साल में एक बार गंगा में डुबकी लगा लेने से सारे पाप धुल जाते हैं ।
पर पापी तो तर
गया, पाप का क्या?
और उससे भी बड़ी बात जिसके साथ
पाप हुआ उसका क्या? लगता है गलती करने वाले से ज्यादा गूनाहगार गलती का शिकार होने
वाला है ।
सबूत मिल गये
तो देर सबेर गुनाहगार को सजा शायद मिल भी जाए पर सबूत न मिले तो?
कहते हैं पापी को सजा
मिलती जरूर है, इस जन्म में न सही तो अगले जन्म मे, गंगा में डुबकी
लगाई हो तब भी ।
आप क्या कहते
हैं?
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