एक गलती और नहीं
एक
गलती और नहीं । हम जो आजादी के बाद या आसपास की पैदाइश हैं आज 70/80 के
नजदीक हैं । अधिकांश नेहरू की विचारधारा से प्रभावित हैं । उस समय के जितने
भी नेता थे आजादी से जुड़े हुए थे। उनके लिए हमारे दिल में एक खास जगह थी।
ओ चाहे गांधी के साथ थे या शुभाष के । दोनों का मक़सद एक था, आजादी । अपने
बुजुर्गों से उनके बारे मे सुनते और सुनते ही रह जाते। उनमें से कुछ को
देखने का शौभाग्य भी मिला। लगता जब तक क हैं हम सुरक्षित हैं । फिर एक के
बाद एक सब चले गये । इंदिरा गांधी ने सब बहुत नजदीक से देखा था पर शासन
करने का अनुभव ही नहीं मिल पाया । शाश्त्री जी असमय चल बसे । और कोई बिकल्प
नजर नहीं आया तो इंदिरा को बागडोर दे दी। पहली गलती, तभी किसी अनुभवी
व्यक्ति को कमान देते तो शायद परिवार वाद नहीं पनपता । पर कुछ भी हो, कुछ
गलत कदमों को छोड़कर, इंदिरा ने साबित कर दिया कि ओ गूँगी गुड़िया नहीं थीं ।
एक दिन उनको
30 May at 6:07 PM
Hari Lakhera <hplakhera@yahoo.co.in>
To:Hari Prasad Lakhera
30 May at 6:07 PM
एक गलती और नहीं । हम जो आजादी के बाद या आसपास की पैदाइश हैं आज 70/80 के नजदीक हैं । अधिकांश नेहरू की विचारधारा से प्रभावित हैं । उस समय के जितने भी नेता थे आजादी से जुड़े हुए थे। उनके लिए हमारे दिल में एक खास जगह थी। ओ चाहे गांधी के साथ थे या शुभाष के । दोनों का मक़सद एक था, आजादी । अपने बुजुर्गों से उनके बारे मे सुनते और सुनते ही रह जाते। उनमें से कुछ को देखने का शौभाग्य भी मिला। लगता जब तक क हैं हम सुरक्षित हैं । फिर एक के बाद एक सब चले गये । इंदिरा गांधी ने सब बहुत नजदीक से देखा था पर शासन करने का अनुभव ही नहीं मिल पाया । शाश्त्री जी असमय चल बसे । और कोई बिकल्प नजर नहीं आया तो इंदिरा को बागडोर दे दी। पहली गलती, तभी किसी अनुभवी व्यक्ति को कमान देते तो शायद परिवार वाद नहीं पनपता । पर कुछ भी हो, कुछ गलत कदमों को छोड़कर, इंदिरा ने साबित कर दिया कि ओ गूँगी गुड़िया नहीं थीं । एक दिन उनको भी छीन लिया गया। कमान राजीव को दे दी गई । एक और गलती । परिवार वाद नहीं पनपता अगर कमान कोई और संभालता। या तो कोई था नहीं या पार्टी टूट जाने का खतरा नहीं उठाना चाहती थी। यहाँ तक यूँ तो देश ने प्रगति की पर साथ ही बहुत कुछ गलत भी हुआ । आज जो लोग कहते हैं कि पिछले 60 साल में कुछ नहीं हुआ वे नादान हैं, उनको माफ़ कर दिया जाए । उनमें से कोई भी नहीं जो गांधी, नेहरू, पटेल, आजाद, के समकक्ष आ सकें । आज कहा जा रहा है कि देश का नाम विश्व में ऊँचा है, तो क्या पिछले चार साल की वजह से । नेहरू और इंदिरा के समय देश आज से कहीं अधिक उचाईयों पर था। आज के नेताओं को हमने बहुत नजदीक से देखा सुना है। सबके सब किसी न किसी रूप मे कलंकित हैं । कोई भी नहीं जिसके लिए सचमुच का प्यार या इज्जत हो। पर राज्य के लिए राजा जरूरी है सो जो भी हो बरदास्त करना होगा । बस एक गलती और न हो ।राजा जो भी हो, उसे आदमी ही रहने दो, भगवान मत बनाओ । एक दिन ओ भी चला जायेगा । आदमी तो दूसरा मिल जायेगा, भगवान कहाँ से लाओगे । पहले परिवार वाद पनपा अब व्यक्ति वाद पनपेगा तो गलती ही होगी ।
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